डीएलएड प्रशिक्षुओं के लिए बन रही 'बाल विकास एवं सीखने की प्रक्रिया' पर हैंडबुक Handbook on 'Child Development and Learning Process'

डीएलएड प्रशिक्षुओं के लिए बन रही 'बाल विकास एवं सीखने की प्रक्रिया' पर हैंडबुक

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Handbook on 'Child Development and Learning Process'
Handbook on 'Child Development and Learning Process'


 प्रयागराज कक्षा एक से आठवीं तक एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू होने के बाद डीएलएड पाठ्यक्रम में भी बदलाव की तैयारी है। उनका प्रशिक्षण नए तौर तरीकों के साथ होगा। इससे पूर्व प्रशिक्षण में प्रयोग होने वाली नई पुस्तकें तैयार कराई जा रही हैं। ये राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा 2022 व 2023 के अनुरूप होंगी। एससीईआरटी के मार्गदर्शन में कालेज आफ टीचर एजुकेशन, वाराणसी में 'बाल विकास एवं सीखने की प्रक्रिया' पर हैंडबुक तैयार हो रही है। इसके लेखन में प्रयागराज के साथ चित्रकूट, भदोही, गाजीपुर, गोरखपुर, बांदा, बाराबंकी,

पुस्तक में बाल विकास की आधारभूत अवधारणाओं को बताया

बुद्धि एवं व्यक्तित्व के सिद्धांत प्रशिक्षु गहनता से समझेंगे

सहारनपुर, संतकबीर नगर, मऊ, मीरजापुर, अमरोहा, देवरिया, महाराजगंज, सोनभद्र, रामपुर के विषय विशेषज्ञ शामिल हैं।

हैंडबुक के खंड एक में बाल विकास की आधारभूत अवधारणाएं बताई गई हैं। संप्रत्यय और परिभाषाएं, वृद्धि एवं विकास में अंतर, विकास को प्रभावित करने वाले कारक वंशानुक्रम एवं पर्यावरण के साथ विकास की अवस्थाएं एवं आयाम को समझाया गया है। इसमें शैशवावस्था, बाल्यावस्था,

किशोरावस्था के शारीरिक, संज्ञानात्मक, सामाजिक, संवेगात्मक, नैतिक एवं सांस्कृतिक विकास, भाषा एवं साक्षरता विकास का भी उल्लेख है। तीसरा अध्याय बुद्धि एवं व्यक्तित्व पर केंद्रित है। इसमें बुद्धि की संकल्पना, प्रकार, सिद्धांत, बुद्धि परीक्षण, व्यक्तित्व के प्रकार, वर्गीकरण, सिद्धांत एवं परीक्षण, वैयक्तिक भिन्नताएं तथा शिक्षा में उनका महत्व समझाया

गया है। सृजनात्मकता, चिंतन एवं कल्पनाशीलता को महत्व देते हुए पाठ्यसामग्री का हिस्सा बनाया गया है। इसमें संप्रत्यय, तत्व, प्रक्रियाएं, सृजनात्मकता और शैक्षिक उपलब्धि, चिंतन, तर्क एवं कल्पनाशीलता का विकास समझाने का प्रयास है। हैंडबुक के लेखन में प्रयागराज डायट प्रवक्ता वीरभद्र प्रताप भी शामिल हैं। बताते हैं कि इस हैंडबुक का दूसरा खंड अधिगम

प्रक्रिया पर केंद्रित है। इसमें संकल्पना एवं कारक, अधिगम को प्रभावित करने वाले कारक, अधिगम उपागम-व्यावहारिक, संज्ञानात्मक, रचनावादी जैसे बिंदु को समाहित किया गया है। प्रमुख अधिगम सिद्धांत भी बताए गए हैं। इनमें थार्नडाइक प्रयास एवं त्रुटि सिद्धांत, पावलव शास्त्रीय अनुबंधन, स्किनर क्रियाप्रसूत अनुबंधन, कोहलर सूझ सिद्धांत, पियाजे संज्ञानात्मक विकास सिद्धांत, वायगोत्स्की सामाजिक सांस्कृतिक सिद्धांत,

ब्रूनर खोज आधारित अधिगम, गाग्ने अधिगम के सोपान पर विस्तृत जानकारी है। तीसरे अध्याय में अधिगम से संबंधित प्रक्रियाएं समझाई गई हैं। इसमें अधिगम वक्र,

पठार-कारण अधिगम एवं निराकरण, अधिगम स्थानांतरण-प्रकार एवं अनुप्रयोग, अभिप्रेरणा, रुचि, अवधान, स्मरण एवं विस्मरण-प्रक्रिया एवं प्रकार की जानकारी डीएलएड प्रशिक्षुओं को दी जागरी। तीसरा खंड सांख्यिकी का है। अर्थ एवं महत्त्व को समझाते हुए माध्य, माध्यिका, बहुलक, आंकड़ों का रेखाचित्रीय निरूपण प्रशिक्षु जानेंगे। खंड पांच में व्यावहारिक एवं गतिविधि-आधारित कार्य की चर्चा है। सौटी आधारित माडल निर्माण, बुद्धिमत्ता एवं तर्क क्षमता के लिए पजल निर्माण, समस्या समाधान आधारित गतिविधियां कल्पनाशीलता व चिंतन आधारित कहानी कविता/पहेली निर्माण के तरीके बताए गए हैं।

शिक्षार्थी केंद्रित दृष्टिकोण देगी हैंडबुक

यह हैंडबुक समग्र विकास, आधारभूत साक्षरता एवं संख्यात्मकता, कौशल-आधारित अधिगम, अन्वेषण एवं गतिविधि-आधारित शिक्षण, स्थानीय संदर्भ आधारित सामग्री, समावेशी एवं शिक्षार्थी केंद्रित दृष्टिकोण को देने वाली है। माना जा रहा है कि इससे शिक्षक शिक्षा की गुणवत्ता सुधार, प्रशिक्षण उन्मुख सामग्री निर्माण और राष्ट्रीय शिक्षा नीति के उद्देश्यों की प्राप्ति में यह पुस्तक सहायक होगी। डा. रिचा जोशी इस पुस्तक निर्माण की शैक्षणिक संयोजक के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

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