छात्रों के ड्रॉपआउट पर सख्ती, अब शिक्षकों की निगरानी में रहेगा हर बच्चा students dropout

छात्रों के ड्रॉपआउट पर सख्ती, अब शिक्षकों की निगरानी में रहेगा हर बच्चा students dropout

शासन के निर्देश पर शिक्षा विभाग ने जिले में ड्रॉपआउट दर कम करने की दिशा में नई पहल शुरू की है। इसके तहत अब विद्यालयों में शत-प्रतिशत नामांकन बनाए रखने की जिम्मेदारी शिक्षकों और प्रधानाध्यापकों को सौंपी गई है।

बीएसए ने किसी भी छात्र-छात्रा की पढ़ाई बीच में न छूटे, इसके लिए नियमित निगरानी के निर्देश दिए हैं। वहीं डीआईओएस कार्यालय से भी ऐसे छात्र-छात्राओं की निगरानी को कवायद शुरू कर दी गई है। बीएसए अलका शर्मा ने बताया कि विशेष रूप से कक्षा आठ पास करने वाले बच्चों पर अधिक ध्यान दिया जाएगा, ताकि वे समय पर उच्चतर कक्षा 9 में प्रवेश ले सकें।


शिक्षकों को प्रत्येक बच्चे की प्रगति, उपस्थिति और स्कूल न आने की स्थिति में त्वरित अभिभावकों से संपर्क करने को कहा गया है। इसके लिए घर-घर संपर्क, अभिभावकों से संवाद और बालिका शिक्षा पर विशेष फोकस करने के निर्देश दिए गए हैं। बीएसए ने बताया कि विद्यालय स्तर पर तैयार की गई सूचियों के आधार पर ऐसे बच्चों की पहचान की जाएगी जिनके पढ़ाई छोड़ने की आशंका है। इसके लिए स्कूल प्रबंधन समितियों की मदद भी ली जाएगी। उन्होंने बताया कि स्कूली शिक्षा में तीन चरण महत्वपूर्ण होते हैं। इनमें बच्चों का पांचवी से छठवीं, आठवीं से नौवीं और दसवीं से 11वीं कक्षा में जाना शामिल है। इसी दौरान अधिकांश बच्चे या तो स्कूल बदलते हैं या उनके पढ़ाई छोड़ने का जोखिम रहता है। इसे रोकने के लिए अब प्रत्येक विद्यालय स्तर पर ठीक से निगरानी की जाएगी। खासकर जूनियर हाईस्कूलों में कक्षा आठ पास करने वाले प्रत्येक बच्चे का कक्षा नौ में प्रवेश हो। पिछले वर्षों की तुलना में इस बार विभाग का लक्ष्य शत-प्रतिशत नामांकन के साथ-साथ शत-प्रतिशत रिटेंशन करना है। इस पहल से विद्यालयों में बच्चों की उपस्थिति बढ़ेगी और गुणवत्ता शिक्षा को बढ़ावा मिलेगा।

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