बंद सरकारी स्कूलों में फिर गूंजेगी छात्रों के साथ पढ़ाई की आवाज
गुरुग्राम। जिले में कई ऐसे सरकारी स्कूल हैं जिनकी इमारतें वर्षों पहले बनकर तैयार हो चुकी हैं, लेकिन कक्षाएं शुरू न हो पाने के कारण ये स्कूल अब तक बंद पड़े हैं। अब मौलिक शिक्षा विभाग ने इन स्कूलों को दोबारा शुरू करने की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं।
विभाग द्वारा जिले के खंड शिक्षा अधिकारियों से ऐसे स्कूलों की विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है, ताकि नए शैक्षणिक सत्र में इन्हें फिर से खोला जा सके। रिपोर्ट के अनुसार, गुड़गांव के डीएलएफ क्षेत्र में स्थित दो सरकारी स्कूल भी इस सूची में शामिल हैं। इन स्कूलों की इमारतों को बने हुए दस वर्ष से अधिक समय हो चुका है, लेकिन विभिन्न कारणों से यहां कभी भी कक्षाएं शुरू नहीं हो पाईं।
लंबे समय तक इन भवनों में अन्य विभागों के कर्मचारी रह रहे थे, जिन्हें अब खाली करा लिया गया है। मौलिक शिक्षा विभाग ने निर्देश दिए हैं कि इन स्कूल भवनों की ग्राउंड रिपोर्ट तैयार की जाए। इसमें भवन की संरचनात्मक सुरक्षा, कक्षाओं की स्थिति, बिजली-पानी जैसी बुनियादी सुविधाएं और छात्रों के बैठने की व्यवस्था का आकलन किया जाएगा। भवन पूरी तरह सुरक्षित पाए जाने पर इन्हें दोबारा शैक्षणिक उपयोग में लाया जाएगा। यह रिपोर्ट तैयार करके निदेशालय को भेजी जाएगी, उसके बाद आगामी सत्र से स्कूल को शुरू करने पर योजना बनाई जा सकती है। जिन स्कूलों में बच्चों के बैठने की जगह कम, उनको मिलेगा फायदा: अधिकारियों का कहना है कि जहां स्कूल भवनों में सीमित जगह होगी या छात्रों के बैठने की पर्याप्त व्यवस्था नहीं होगी, वहां छात्रों को नजदीकी सरकारी स्कूलों में शिफ्ट करने का विकल्प भी रखा जाएगा। इससे न केवल बच्चों की पढ़ाई बाधित नहीं होगी, बल्कि आसपास के स्कूलों में नामांकन की संख्या भी संतुलित की जा सकेगी। जिले में ऐसे एक दर्जन से अधिक स्कूल है, जिनके पास बैठने के लिए पूरा स्थान नहीं है। स्कूलों में बढ़ेगा नामांकन भी: बंद पड़े स्कूलों के दोबारा खुलने से नए छात्रों को नामांकन का अवसर मिलेगा और अभिभावकों को घर के पास सरकारी स्कूल का लाभ मिल सकेगा। इससे शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के साथ-साथ सरकारी संसाधनों का बेहतर उपयोग भी सुनिश्चित होगा। स्कूल के पास कोड, लेकिन नहीं लग पाई कक्षाएं: डीएलएफ फेस वन स्थित प्राइमरी सरकारी स्कूल की बिल्डिंग में बीते कई वर्षों से बनकर तैयार हैं। यह इमारत शिक्षा विभाग की है, लेकिन अभी तक बच्चों के लिए यह बिल्डिंग शुरू ही नहीं कि गई है। जिस वजह से स्कूल की इस इमारत पर अन्य लोगों द्वारा कब्जा किया गया था। यह स्कूल सिर्फ रेकॉर्ड में गिनती बढ़ाने तक सीमित रह गया था। दरअसल, जब यह एरिया डेवलप किया गया था तब डीएलएफ की ओर से यहां पर डिस्पेंसरी भी बनाई गई जिसे स्वास्थ्य विभाग को हैंडओवर किया तो वहीं कुछ पार्क बनाए गए जिसे नगर निगम को दिया गया। वहीं स्कूल के लिए इमारत भी बनाई गई थी जिसे शिक्षा विभाग को दिया तो गया है लेकिन उसका इस्तेमाल अब तक नहीं हो पाया है। जबकि इन दोनों स्कूलों को स्कूल कोड भी शिक्षा निदेशालय की ओर से मिल गए हैं। 1102 और 1103 इन स्कूलों के कोड है। जिनसे इन स्कूलों की पहचान होती हैं लेकिन यह सिर्फ कागजी हैं। असल में यहां पर कोई स्कूल नहीं चल रहा, स्कूल की इमारत के अंदर शराब की बोतले भी रखी गई हैं। - जिले में जिन सरकारी स्कूलों की इमारतें बनी हुई हैं लेकिन अभी तक शैक्षणिक गतिविधियां शुरू नहीं हो पाई हैं, उनकी रिपोर्ट मंगाई गई है। सभी भवनों की सुरक्षा और बुनियादी सुविधाओं का निरीक्षण कराया जाएगा। जहां भवन पूरी तरह सुरक्षित होंगे, वहां नए सत्र से कक्षाएं शुरू की जा सकती है। इससे छात्रों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी और शिक्षा तक उनकी पहुंच आसान होगी।- सरोज दहिया, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी, गुरुग्राम
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