UP Shikshak Bharti: 69 हजार सहायक शिक्षक भर्ती में पीड़ितों का बढ़ा दर्द, आरक्षण मामले में फिर टली सुनवाई

UP Shikshak Bharti: 69 हजार सहायक शिक्षक भर्ती में पीड़ितों का बढ़ा दर्द, आरक्षण मामले में फिर टली सुनवाई

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। परिषदीय विद्यालयों में 69 हजार सहायक शिक्षक भर्ती में 19 हजार पदों पर हुए कथित आरक्षण घोटाले का मामला सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध था, लेकिन सरकारी अधिवक्ता की अनुपस्थिति के कारण सुनवाई नहीं हो सकी।

अब इस मामले की अगली तारीख चार फरवरी तय की गई है। पिछले 17 महीनों से लगातार सरकार की ओर से पक्ष न रखे जाने के कारण आरक्षण पीड़ित अभ्यर्थियों में गहरा आक्रोश और निराशा है।


अभ्यर्थियों का आरोप है कि भर्ती में ओबीसी को 27 प्रतिशत की जगह मात्र 3.86 प्रतिशत और एससी को 21 प्रतिशत की जगह लगभग 1.62 प्रतिशत आरक्षण दिया गया। यह बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 और आरक्षण नियमावली 1994 का घोर उल्लंघन है।

इसी आधार पर लखनऊ हाईकोर्ट की डबल बेंच ने 13 अगस्त 2024 को पूरी चयन सूची रद करते हुए तीन महीने में आरक्षण के अनुसार नई मूल चयन सूची बनाने का आदेश दिया था, लेकिन अब तक इसका पालन नहीं हुआ। यह भर्ती चार दिसंबर 2018 को निकली थी और छह जनवरी 2019 को परीक्षा हुई।

4.10 लाख अभ्यर्थियों में से करीब 1.40 लाख सफल हुए। एक जून 2020 को जारी परिणाम में अनारक्षित वर्ग की कटआफ 67.11 और ओबीसी की 66.73 होने से आरक्षण घोटाले का शक गहरा हुआ। बाद में डाटा विश्लेषण से गड़बड़ी सामने आई और मामला 2020 में हाईकोर्ट पहुंचा।

राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने भी 29 मई 2021 को घोटाले की पुष्टि की, लेकिन सरकार ने रिपोर्ट नहीं मानी। पिछड़ा दलित संयुक्त मोर्चा के प्रदेश मीडिया प्रभारी राजेश चौधरी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में आरक्षित वर्ग के वकील मौजूद थे, लेकिन सरकारी वकील न होने से सुनवाई टल गई।

उन्होंने सवाल उठाया कि जब पूरी सूची रद है और मामला लंबित है, तो चयनित बीएड शिक्षकों को ब्रिज कोर्स कैसे कराया जा रहा है। इस पर रोक के लिए जल्द सुप्रीम कोर्ट में इंप्लीमेंटेशन एप्लीकेशन दाखिल की जाएगी।

Post a Comment

Previous Post Next Post