इस बार लगभग आधा दर्जन ऐसे विद्यालय हैं जो हर साल परीक्षा केंद्र बनते आए थे, लेकिन इस बार उप्र बोर्ड की प्रारंभिक सूची में उनके नाम शामिल नहीं हुए। इन विद्यालयों ने अपनी आपत्ति में कहा कि उनका परीक्षा केंद्र बनने का रिकार्ड बेदाग है, मानक पूरे हैं, इसलिए उन्हें केंद्र सूची में शामिल किया जाए।
आपत्ति निस्तारण के दौरान ऐसे सभी विद्यालयों की जांच की जा रही है और मानक सही पाए गए तो उनके केंद्र बनाए जाएंगे। जिलाधिकारी की अध्यक्षता में 11 दिसंबर को होने वाली बैठक में सभी 125 आपत्तियों का निस्तारण किया जाएगा। इसके बाद अंतिम परीक्षा केंद्र सूची तैयार कर उप्र बोर्ड को भेज दी जाएगी।
जिन विद्यालयों का केंद्र इस बार नहीं बन पाया और उन्होंने आपत्ति लगाई है, उनके आवेदन को गंभीरता से लिया जा रहा है। यदि जांच में पाया गया कि केंद्र हर साल बनता आया है, मानक पूरे हैं और कोई त्रुटि नहीं है, तो आपत्तियों के निस्तारण में उनके परीक्षा केंद्र जोड़ दिए जाएंगे। इस प्रक्रिया में किसी विद्यालय को अलग से आवेदन करने की आवश्यकता भी नहीं है, क्योंकि आपत्तियों में दी गई जानकारी के आधार पर ही जांच आगे बढ़ेगी और सब कुछ ठीक मिलने पर उप्र बोर्ड को परीक्षा केंद्र बनाने की संस्तुति कर दी जाएगी।
कटवाने की आपत्तियों पर दूरी मानक होंगे निर्णायक
वहीं लगभग 20 विद्यालय ऐसे हैं, जिनके केंद्र बने तो हैं लेकिन कुछ लोगों ने मानक पूरे न होने का हवाला देकर केंद्र कटवाने की गुहार लगाई है। इन आपत्तियों की जांच एक तय नियम के अनुरूप होगी। नियमानुसार छात्राओं के मूल विद्यालय से सात किलोमीटर तथा छात्राें के विद्यालय से पंद्रह किलोमीटर की दूरी के भीतर यदि कोई दूसरा विद्यालय मानक पूरा करता है, तभी वर्तमान परीक्षा केंद्र हट सकता है।
यदि आसपास कोई मानकयुक्त वैकल्पिक विद्यालय नहीं मिलता, तो केंद्र नहीं काटा जाएगा। ऐसे मामलों में केंद्र व्यवस्थापकों को ही आवश्यक मानक पूरे कराए जाएंगे।
11 दिसंबर को परीक्षा केंद्रों की आपत्तियों का निस्तारण होगा। जिनके परीक्षा केंद्र नहीं बने हैं और उन्होंने आपत्ति लगाई है कि उनके परीक्षा केंद्र मानक पूरे करते हैं और परीक्षा केंद्र नहीं बने तो उनकी जांच में सब कुछ ठीक मिला तो परीक्षा केंद्र बनाने की संस्तुति की जाएगी। मानक पूरे नहीं करने वाले परीक्षा केंद्र हटेंगे।
- देवेंद्र पांडे, जिला विद्यालय निरीक्षक
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