Tax Return पर बजट 2026 में शादीशुदा जोड़ों के लिए आएगा बड़ा नियम? होम लोन, मेडिकल खर्च जैसी इन चीजों पर मिलेगा फायदा

Tax Return पर बजट 2026 में शादीशुदा जोड़ों के लिए आएगा बड़ा नियम? होम लोन, मेडिकल खर्च जैसी इन चीजों पर मिलेगा फायदा

नई दिल्ली। बजट 2026 की तैयारियों के बीच नॉर्थ ब्लॉक में सुझावों की बाढ़ आई हुई है। इन्हीं में एक प्रस्ताव ऐसा है, जो अगर लागू हुआ तो लाखों भारतीय परिवारों की टैक्स प्लानिंग बदल सकता है।

भारतीय चार्टर्ड अकाउंटेंट्स संस्थान (ICAI) ने सरकार को सुझाव दिया है कि शादीशुदा जोड़ों को संयुक्त रूप से इनकम टैक्स रिटर्न (Joint Taxation) दाखिल करने का विकल्प दिया जाए। अगर वित्त मंत्रालय इस प्रस्ताव को स्वीकार करता है, तो यह भारत के व्यक्तिगत आयकर ढांचे में एक बड़ा बदलाव होगा।


अभी क्या सिस्टम है?

फिलहाल भारत में टैक्स सिस्टम पूरी तरह व्यक्ति-आधारित है। शादीशुदा हों या अविवाहित, हर व्यक्ति को अलग-अलग इनकम टैक्स रिटर्न भरना होता है। पति-पत्नी की आय, खर्च और निवेश साझा होने के बावजूद टैक्स के मामले में उन्हें अलग-अलग देखा जाता है।

ICAI का सुझाव क्या है?

ICAI का कहना है कि शादीशुदा जोड़ों को यह विकल्प मिलना चाहिए कि वे चाहें तो अलग-अलग रिटर्न भरें (जैसा अभी होता है), या एक ही संयुक्त रिटर्न में दोनों की आय और छूट को जोड़कर टैक्स भरें। मतलब,हर साल जो तरीका फायदेमंद हो, वही चुना जा सके।

ICAI को ये क्यों जरूरी लगता है?

ICAI के मुताबिक, संयुक्त टैक्सेशन से कई फायदे हो सकते हैं। जैसे कि टैक्स फाइलिंग आसान होगी जिससे एक रिटर्न, कम कागजी काम और बेहतर पारदर्शिता होगी। जहां एक ही सदस्य कमाता है, वहां टैक्स बोझ कम हो सकता है।

दुनिया के कई देशों में है यह सिस्टम

अमेरिका और कई यूरोपीय देशों (जैसे जर्मनी, स्पेन, पुर्तगाल) में शादीशुदा जोड़ों को संयुक्त टैक्स फाइलिंग की सुविधा मिलती है।

संयुक्त टैक्सेशन कैसे काम कर सकता है?

हालांकि अभी अंतिम मॉडल तय नहीं हुआ है, लेकिन चर्चा में कुछ ऐसे विकल्प सामने आए हैं जिनमें पति-पत्नी मिलकर एक संयुक्त इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करेंगे। साथ ही संयुक्त फाइलिंग के लिए अलग टैक्स स्लैब हो सकते हैं।

क्या मिलेगा फायदा?

  • ₹6 लाख तक कोई टैक्स नहीं
  • ₹6-14 लाख पर 5% टैक्स
  • सैलरी पाने वाले दोनों जीवनसाथियों को स्टैंडर्ड डिडक्शन का लाभ मिल सकता है
  • सरचार्ज की सीमा बढ़ाई जा सकती है

इसमें सबसे अहम बात ये होगी कि यह पूरी तरह वैकल्पिक होगा।

क्या होंगी चुनौतियां?

यह आइडिया आकर्षक जरूर है, लेकिन इसे लागू करना आसान नहीं होगा। इसके लिए पूरा सिस्टम बदलना पड़ेगा। जैसे कि अभी PAN, TDS और रिटर्न प्रोसेसिंग सिस्टम व्यक्ति-आधारित है।

1. टैक्स चोरी का खतरा
अगर छूट और सीमा बहुत ज्यादा बढ़ाई गई, तो आय को इधर-उधर दिखाने की कोशिशें बढ़ सकती हैं

2. छूट और कटौतियों की जटिलता
होम लोन, 80C, 80D, हाउस प्रॉपर्टी जैसी चीजों को एक ही रिटर्न में कैसे जोड़ा जाए, इसके लिए साफ नियम चाहिए।

3. दोनों कमाने वाले जोड़ों को फायदा जरूरी नहीं
जिनकी संयुक्त आय ज्यादा है, उनके लिए टैक्स बढ़ भी सकता है, इसलिए विकल्प जरूरी है।

अलग-अलग परिवारों पर असर कैसा होगा?

  • एक कमाने वाले परिवार में टैक्स कम हो सकता है, फाइलिंग आसान होगी।
  • दोनों कमाने वाले, मध्यम आय वाले को कुछ मामलों में फायदा मिल सकता है।
  • उच्च आय वाले दंपति वालों को फायदा सीमित हो सकता है, गणना जरूरी होगी।
  • होम लोन, बच्चों की पढ़ाई, मेडिकल खर्च वाले परिवार: टैक्स प्लानिंग बेहतर हो सकती है



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