जंतर मंतर पर प्रदर्शन कर शिक्षकों ने अध्यादेश लाकर टीईटी अनिवार्यता से मांगी छूट
लखनऊ, प्रमुख संवाददाता। टीईटी अनिवार्यता के विरोध में गुरुवार को यूपी समेत देश भर के तीन लाख से अधिक शिक्षकों ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया। देश भर के शिक्षक संगठनों के संयुक्त मंच अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ (एआईपीटीएफ) के बैनर तले हुए इस आन्दोलन ने केंद्र सरकार का ध्यान आकर्षित किया और इस दिशा में ठोस कदम उठाने की मांग की।
संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुशील कुमार पाण्डेय ने बताया कि शिक्षा अधिकार अधिनियम लागू होने से पूर्व नियुक्त शिक्षकों को टीईटी की अनिवार्यता से मुक्त रखा जाना समय की मांग है। उन्होंने कहा कि निपुण भारत मिशन, पीएम श्री विद्यालय, अटल आवासीय विद्यालय में शिक्षकों द्वारा सराहनीय प्रयास किया जा रहा है।
पिछले कई वर्षों से नवीन तकनीकी से प्रशिक्षण के फलस्वरुप शिक्षक बच्चों को स्मार्ट क्लास से अत्याधुनिक शिक्षा, विभिन्न शैक्षिक कौशल सिखा रहे हैं लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद शिक्षक तनावग्रस्त व गंभीर पीड़ा से गुजर रहे हैं। लंबे कुशल शिक्षक अनुभव व विभागीय प्रशिक्षण प्राप्त उत्तर प्रदेश सहित बिहार पश्चिम बंगाल,तमिलनाडु,महाराष्ट्र,गुजरात,कर्नाटक आदि प्रदेशों से 12 सौ, 15 सौ किलोमीटर यात्रा कर देशभर के शिक्षक टीईटी अनिवार्यता से छूट के लिए दिल्ली में एकत्र हुए हैं, जिनका सम्मान करते हुए सरकार को तत्काल इस पर ठोस कदम उठाना चाहिए, जिससे उत्तर प्रदेश के 2 लाख शिक्षकों सहित पूरे देश में 20 लाख शिक्षकों की सेवा सुरक्षा हो सके। उन्होंने कहा कि शिक्षक पात्रता परीक्षा एक बार ली जाने वाली परीक्षा है, जिसे नियुक्ति के समय चयन के लिए बनाया गया है न कि सेवारत शिक्षकों की पात्रता को जांचने के लिए है, जो कि शिक्षक नियुक्ति के समय की न्यूनतम अहर्ता सेवाकाल में परिवर्तन नहीं होना चाहिए। वहीं संगठन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राम अवतार पाण्डेय व घनश्याम प्रसाद यादव ने कहा कि सरकार इस प्रकरण पर सहानुभूति एवं व्यवहारिकता के साथ संज्ञान ले एवं लाखों शिक्षकों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए अधिनियम में आवश्यक संशोधन करे। वहीं रेलवे संगठन के महासचिव शिव गोपाल मिश्र ने आन्दोलन का समर्थन करते हुए कहा कि सरकार तत्काल शिक्षकों की समस्याओं का निराकरण करे। अगर सरकार अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ की मांगों की अनदेखी करती है तो मजबूरी में रेलवे यूनियन कंधे से कंधा मिलाकर आंदोलन में शामिल हो जाएगी।
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