आसान नहीं है शिक्षकों से डिजिटल हाजिरी लगवा पाना Digital Attendance

आसान नहीं है शिक्षकों से डिजिटल हाजिरी लगवा पाना

लखनऊ, प्रमुख संवाददाता। बेसिक शिक्षा विभाग के लिए शिक्षकों से ऑनलाइन या डिजिटल हाजिरी लगवा लेना आसान नहीं होगा। शासन ने इस बारे में भले आदेश जारी कर दिया है लेकिन विभाग विशेषकर स्कूल शिक्षा महानिदेशालय को इसे लागू करने की कवायद शुरू करने में ही पसीने छूट रहे हैं।

दूसरी तरफ शिक्षक एवं शिक्षक संगठनों की ओर से डिजिटल हाजिरी को लेकर विरोध के सुर उठने लगे हैं। शिक्षक संगठन शासन के इस कदम को शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार नहीं बल्कि इसे निगरानी और दंड मान रहे हैं। यही कारण है कि कई शिक्षक संगठनों ने ऑनलाइन हाजिरी के खिलाफ शासन को बिंदुवार 30 आपत्तियां भेजी हैं जबकि कुछ संगठनों ने इस मुद्दे को लेकर कोर्ट जाने की तैयारी शुरू कर दी है।


वहीं सोशल मीडिया के तमाम ग्रुपों में डिजिटल हाजिरी के विरुद्ध शिक्षकों की ओर से तीव्र प्रतिक्रिया व्यक्त की जा रही है। शिक्षक़ों के बीच डिजिटल हाजिरी की संस्तुति करने वाली कमेटी में शामिल उन 6-7 शिक्षकों के खिलाफ भी भारी गुस्सा है। कमेटी में शामिल इन शिक्षकों पर सरकार से उपकृत होने के भी आरोप लग रहे हैं। कहा जा रहा है कि कमेटी के सदस्य बने शिक्षक एवं शिक्षक नेताओं को बेसिक शिक्षा के अधिकारियों ने उपकृत करके बेसिक के 6 लाख शिक्षक के दुर्भाग्य निर्धारित करने वाले आदेश पर सहमति करवा ली। बढ़ते विरोध को देखते हुए कुछ शिक्षक संगठन व उसके नेता बहुत संतुलित बयान दे रहे हैं। मसलन, यूपी बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने कहा है कि परिषदीय विद्यालयों में शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित कराने के लिए कमेटी का गठन किया गया, उसकी बैठक भी हुई लेकिन शिक्षकों की मूल समस्याओं पर शासन ने ध्यान न देते हुए शिक्षकों का ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज करने का आदेश जारी किया है, जिसको लेकर पूरे प्रदेश के शिक्षक शासन के इस आदेश को लेकर चिंतित हैं। बिना समस्याओं के निदान किए ऑनलाइन आदेश लागू कराना शिक्षको के हित में नहीं है। अनिल यादव ने शिक्षकों को आकस्मिक अवकाश के आलावा 30 ईएल, 14 हाफ डे, चिकित्सा सुविधा आदि लागू करने की मांग भी की है ताकि विपरीत परिस्थितियों में शिक्षक समय से स्कूल न पहुंचे तो इन छुट्टियों का प्रयोग कर सकें। कई संगठनों का कहना है कि डिजिटल उपस्थिति का उद्देश्य गुणवत्ता में सुधार नहीं बल्कि निगरानी व दण्ड बन गया है। यह शिक्षक-छात्र के बीच के पवित्र रिश्ते में बाधा डालता है। अतः प्राथमिक विद्यालयों में इसे बंद करना या पुनः विचार करने की अत्यावश्यकता है। शिक्षकों ने डिजिटल हाजिरी के मुद्दे पर स्कूल शिक्षा महानिदेशालय को 30 बिन्दुओं का ध्यानाकर्षण पत्र भेजा है।

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