लखनऊ। प्राइमरी स्कूलों की अर्द्ध वार्षिक परीक्षा में हर साल प्रत्येक विषय में 30 अंक के पूर्णांक के प्रश्न पूछे जाते हैं,लेकिन इस बार प्रश्न पत्र 50 अंक का बना दिया गया है। बीएसए कार्यालय ने सभी स्कूलों को ये प्रश्न पत्र मुहैया कराए हैं। बच्चे इन्हीं प्रश्न पत्रों से परीक्षा दे रहे हैं। शिक्षक असमंजस में हैं कि उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन किस पूर्णांक के आधार करें? शिक्षकों में ये मुद्दा चर्चा का विषय बना हुआ हैं।

शिक्षक सवाल उठा रहे हैं कि प्रश्न पत्र बनाने वाली कमेटी में शामिल अधिकारियों ने क्यों नहीं ध्यान दिया? जबकि कमेटी में डायट प्रचार्य व बीएसए समेत दूसरे अधिकारी शामिल होते हैं।
किस पूर्णांक के आधार पर दें नम्बर
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लखनऊ में संचालित 1618 प्राइमरी स्कूल में करीब डेढ़ लाख बच्चे पंजीकृत हैं। एक से आठ के बच्चों की 10-10 अंक की पहली टर्म परीक्षा हो चुकी है। 10 दिसम्बर से अर्द्ध वाषिक परीक्षाएं शुरू हुईं। शिक्षकों का कहना है कि इस बार बीएसए कार्यालय ने हर क्लास में प्रश्न पत्र 50-50 अंक के दिये गए हैं। शिक्षक परेशान हैं कि यदि 50 अंक का पूर्णांक मानकर मूल्यांकन करेंगे तो हर विषय के अंकों का योग 120 होगा। ऐसे में रिपोर्ट कार्ड बनाने में दिक्कत होती है।
अंक निर्धारण का नियम
● बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से संचालित प्राइमरी स्कूलों में कक्षा एक से आठ के बच्चों के प्रत्येक विषय की परीक्षा में 100 अंक निर्धारित है। शिक्षकों के मुताबिक पूरे सत्र में 10-10 अंक की दो टर्म परीक्षा होती हैं।
● 30 अंक की अर्द्ध वार्षिक और 50 अंक की वार्षिक परीक्षा का प्रावधान है। इस प्रोफार्मा के अनुसार बच्चों की मार्कशीट (रिपोर्ट कार्ड) बनती है। इसी के अनुसार विभाग के पोर्टल पर प्रोफार्मा होता है। जिसके अनुसार रिपोर्ट कार्ड बनाए जाते हैं।
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