1260 परिषदीय विद्यालयों में बजेगा बैंड-बाजा Band Baja In Basic school

1260 परिषदीय विद्यालयों में बजेगा बैंड-बाजा


हरदोई : परिषदीय उच्च प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षा अब केवल पुस्तकों और पाठ्यक्रम तक सीमित नहीं रही है। बच्चों के सर्वांगीण विकास को ध्यान में रखते हुए विद्यालयों में अनुशासन, नेतृत्व क्षमता और टीम भावना को मजबूत करने की दिशा में लगातार नवाचार किए जा रहे हैं। इसी क्रम में एक नई और प्रेरणादायी पहल के तहत बड़े परिषदीय विद्यालयों में बच्चों को बैंडबाजा दल से जोड़ा जा रहा है, ताकि वे सामूहिकता, जिम्मेदारी और आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ सकें। प्रदेश सरकार की इस पहल के अंतर्गत जिन उच्च प्राथमिक विद्यालयों में 250 से अधिक छात्र छात्राएं अध्ययनरत हैं, वहां बैंडबाजा और बैंड यूनिफार्म की व्यवस्था की जा रही है। हरदोई जिले के 42 विद्यालयों को इस योजना में शामिल किया गया है, जिससे 798 बच्चों को सीधा लाभ मिलेगा। वहीं, प्रदेश स्तर पर 1260 विद्यालयों के 23,940 बच्चे इस नवाचार का हिस्सा बनेंगे। बैंडबाजा के लिए 3.78 करोड़ तो बैंड यूनिफार्म के


लिए 4.78 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। प्रत्येक चयनित विद्यालय को दो बैंडबाजा सेट उपलब्ध कराए जाएंगे। एक बैंड टीम में 19 बच्चों को शामिल किया जाएगा, जो विद्यालयी कार्यक्रमों, राष्ट्रीय पर्वों और विशेष आयोजनों में अनुशासनबद्ध प्रस्तुति देंगे। एक बैंडबाजा सेट की लागत 30 हजार

रुपये निर्धारित की गई है, जबकि बैंड यूनिफार्म की कीमत प्रति बच्चा 300 रुपये रखी गई है।

हरदोई के 42 विद्यालयों के लिए कुल 28 लाख 56 हजार रुपये की राशि प्राप्त हुई है। बैंडबाजा और यूनिफार्म की खरीद स्थानीय स्तर पर विद्यालय प्रबंध समिति के द्वारा की जाएगी।

अवध क्षेत्र ये जिले योजना में शामिल

हरदोई : 42, लखनऊ: 18, बहराइच 88, अमेठी 11, अंबेडकर नगर : 13, बलरामपुर: 10, गोंडा: 27, लखीमपुर खीरी: 116, रायबरेली : 28, श्रावस्ती : 8, सीतापुरः 38 और सुलतानपुर में 14 विद्यालय शामिल किए गए हैं। इनमें 1260 बच्चे अध्ययनरत हैं।

समग्र शिक्षा की वार्षिक

कार्ययोजना एवं बजट 2025-26 में प्रोजेक्ट एप्रूवल बोर्ड शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार द्वारा प्रदेश के चयनित उच्च प्राथमिक विद्यालयों में बैंडबाजा और बैंड यूनिफार्म का अनुमोदन किया गया था। उसी के तहत धनराशि जारी की गई है। खरीद के लिए जो भी मानक निर्धारित किए गए हैं, उसी के अनुसार काम होगा।

- डा. अजित सिंह, वीएसए, हरदोई


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